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बिजनौर

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बिजनौर उप्र। पर्वतराज हिमालय की तलहटी में दक्षिण भाग पर वनसंपदा और इतिहास से समृद्घशाली बिजनौर जनपद अपने भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण प्राचीन काल से ही एक विशेष पहचान रखता है। इसकी उत्तरी सीमा से, हिमालय की तराई शुरू होती है, तो गंगा मैया इसका पश्चिमी सीमांकन करती है। बिजनौर के उत्तर पूर्व में गढ़वाल और कुमाऊं की पर्वत श्रृंखलाएं इसका सौंदर्य बढ़ाती हैं, तो इसकी पश्चिमी एवं दक्षिण सीमा पर गंगा के उस पार है, विश्व प्रसिद्ध तीर्थ हरिद्वार। कुल 4338 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले बिजनौर जनपद की आबादी इस समय करीब 30 लाख है। बिजनौर अनेक विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी है। इसने देश को नाम दिया है, अनेक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभायें दी हैं। यहां की धरती उर्वरक ही उर्वरक है। बिजनौर का उत्तरी, उत्तर पूर्वी और उत्तर पश्चिमी भाग महाभारत काल तक सघन वनों से आच्छादित था। इस वन प्रांत में, अनेक ज्ञात और अज्ञात ऋषि-मुनियों के निवास एवं आश्रम हुआ करते थे। सघन वन और गंगा तट होने के कारण, यहां ऋषि-मुनियों ने घोर तप किये, इसीलिए बिजनौर की धरती देवभूमि और तपोभूमि भी कहलाती है। सघन वन तो यहां