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आज कुलदीप कुमार का जन्मदिन है-

 आज कुलदीप कुमार का जन्मदिन है-                       मित्रता की नई कसौटी की तलाश                      आज मित्रवर कुलदीप कुमार का जन्म दिन है।उनका जन्म नजीबाबाद में सन् 1955 में हुआ । बचपन से ही वह प्रतिभाशाली था।सन् 1973 में उन्होंने जेएनयू के इतिहास विभाग में दाखिला हासिल किया।मेरी उसके साथ सन् 1979 से मित्रता है।संयोग की बात है कि उनकी पत्नी प्रोफ़ेसर इन्दु अग्निहोत्री   इतिहास और स्त्रीवाद की मर्मज्ञ विदुषी हैं। उनसे मेरा परिचय और मित्रता सन्1978 से है।उस समय मैं मथुरा जिला एसएफआई का जिला सचिव था और के.आर. गर्ल्स डिग्री कॉलेज के छात्र संघ के उद्घाटन कार्यक्रम में स्व. अशोक लता जैन और नमिता सिंह के साथ उनको विशिष्ट वक्ता के रुप में आमंत्रित किया था।उस समय उन्होंने शानदार भाषण दिया था।                  कुलदीप कुमार पेशे से पत्रकार-इतिहासकार और साहित्यकार है। तक़रीबन पैंतालीस साल से भी अधिक समय से वह लिख रहा है।उसने सम-सामयिक राजनीति-साहित्य-संगीत और इतिहास की समस्याओं पर हज़ारों बेहतरीन लेख दैनिक हिन्दी-अंग्रेजी के अख़बारों के साथ अनेक विदेशी अख़बारों में लिखे हैं।वह जर्मनी के दोयचे

हरिप्रकाश त्यागी

हरिप्रकाश त्यागी चित्रकार,   कवि , लेखक डा   उषा त्यागी हरिप्रकाश त्यागी का जन्म 15 नवम्बर सन् 1949 को ग्राम हरेवली (बिजनौर) में हुआ। आपके पिता जी का नाम श्री जबर सिंह एवं माता का नाम श्रीमती ज्वालादेवी था। गाँव में जमींदारी थी , लेकिन पिता देवबन्द (सहारनपुर) में हैड कान्स्टेबिल थे। उन्हें ' दीवान जी ' कहकर संबोधित किया जाता था। कुछ पारिवारिक परम्परा और कुछ पुलिस विभाग में नौकरी के कारण वह रोबदार व्यक्ति थे।   कहा जाता है कि   दीवान जी को देवबन्द में किसी ने शराब में पारा मिलाकर पिला दिया ।इलाज के सिलसिले में वह अपने गाँव हरेवली आ गये । आज के प्रसिद्ध व्यंग्यकार रवीन्द्रनाथ त्यागी के पिता वैद्य मुरारीदत्त शर्मा ' कविराज ' ने उनका इलाज किया , लेकिन उन्हें कोई फायदा होता दिखाई नहीं दिया। इस घटना के आघात से हरिप्रकाश त्यागी की माता जी अपने पति से पहले ही चल बसी और इसके एक माह पश्चात दीवान जी भी स्वर्गवासी हो गये। परिवार के साथ-साथ हरिप्रकाश का पालन पोषण भी बड़े भाई सोमप्रकाश जी ने किया। बड़े भाई गरम मिजाज आदमी थे। अपने तेज तर्रार वाक्यों में गाली −गलौच को समुचित स्था

लोक कलाकारों की दम तोड़ती कला

  के.एस. तूफान   मानव जीवन में हास्य-व्यंग्य का महत्वपूर्ण स्थान है। कहा भी जाता है कि स्वास्थ्य के लिए हंसना अत्यंत आवश्यक है। यदि मानव जीवन से हास्य-व्यंग्य को निकाल दिया जाए , तो जीवन रसहीन हो जाएगा। किंतु समय की क्रूरता देखिए कि अपने गायन-वादन , नृत्य , नकल एवं हास्य-व्यंग्य के माध्यम से लोक मानस का मनोरंजन करने वाले लोक कलाकारों "विदूषकों का जीवन रसहीन होकर सूखता जा रहा है। समय के चक्रव्यूह में फंसकर तथा बेरोजगारी , अशिक्षा , उपेक्षा , हताशा , निराशा , कुंठा एवं महंगाई का शिकार होकर इनकी कला दम तोड़ती जा रही है। ख़तरा यह भी उत्पन्न हो गया है कि मृतप्रायः यह लोक कला कहीं भविष्य में मात्र इतिहास बनकर न रह जाए। नाचते-गाते तत्काल नकुल बनाकर प्रस्तुत करना तथा हास्य-व्यंग्य उत्पन्न करना इन लोक कलाकारों , " विदूषकों" के बाएं हाथ का खेल है। इस कला में ये अपना सानी नहीं रखते। बात-बात में चुटीला एवं करारा व्यंग्य कसना , सांकेतिक भाषा में किसी पर भी व्यंग्य कसकर उसे पानी-पानी कर देना तथा हास्य के माध्यम से व्यक्तियों का स्वस्थ मनोरंजन करना इनकी विशेषता है। रागों , शास्त

बिजनोर साहनपुर काकरण जाट रियासत

3 6 Jatland - Western U.P p n e t r s S o d o h 4 M   7 l , u 2 1 f 3 6 0 2 i r a 1 c g h a f f   l 5 8 4 c t 0 1 l g c t 6 h a l h g 1 1 g m 8 7    ·  ।। बिजनोर साहनपुर काकरण जाट रियासत ।। ।। इन्होंने गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार के लिए जमीन दी जो आज भी 1st year में पड्या जाता है ।। भाजपा सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह के पिता राजा स्व० देवेंद्र सिंह ने 12 वर्ष की आयु में लालढांग के पास चमरिया के जंगल में शेर को मार गिराया था। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से एमबीए किया था और 1960 में इंडियन शिकार एंड टूरिस्ट कंपनी बनाई थी। कालाडूंगी के जंगल में उन्होंने विश्व का सबसे बड़ा 12 फिट एक इंच का शेर मारा था, जो आज भी अमेरिका के स्मिथ सोनियन इंस्ट्टीयूट के संग्रहालय में रखा हुआ है। इस खानदान के जन्म दाता नाहर सिंह जी को माना जाता है। नाहरसिंह के पुत्र बसरूसिंह जींद से सन 1600 में यहाँ आबाद हुए थे। उस समय जहांगीर भारत के शासक थे उनकी सेना में रहकर इन लोगों ने बड़ा सम्मान प्राप्त किया था। बसरूसिंह के छोटे लड़के तेगसिंह जी ने बादशाह जहांगीर से जलालाबाद, किरतपुर और मडाँवर के परगने में 660 मौजे